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झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

विश्व महिला दिवस पर संजीवनी संस्था ने किया उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं का सम्मान

संजीवनी सामाजिक कल्याण परिषद के तत्वावधान में जांगिड़ अस्पताल में हुआ कार्यक्रम

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नवलगढ़। संजीवनी सामाजिक कल्याण परिषद के तत्वावधान में जांगिड़ अस्पताल में विश्व महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. संतोष पिलानिया ने की तथा मुख्य अतिथि बाय सरपंच तारा पूनियां थीं। मुख्य वक्ता प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. मीनाक्षी जांगिड़ व विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद उषा मानसिंहका, इंदिरा शर्मा, विमला जांगिड़, सुमन कंवर, बिंदू पाटोदिया, ललिता शर्मा थी। प्रारंभ में मंच संचालक डाॅ. पिलानिया ने स्त्री शिक्षा का महत्व बताया और कहा कि वे शिक्षा की वजह से ही एसएन काॅलेज की सह प्राचार्या है। डाॅ. मीनाक्षी जांगिड़ ने सभी सम्मानित होने वाली महिलाओं व अन्य महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में 15 विशिष्ट महिलाओं को समाजसेवा, शिक्षा व साहित्य में उत्कृष्ट उपलब्ध्यिों के लिए सम्मानित किया गया। जिनमें संतोष पिलानिया, एडवोकेट मोरवी जांगिड़, सुमन राठौड, अनिता कुमारी सैनी, चंचल चोबदार, मंजू वर्मा, सुनिता सैनी, बिंदू पाटोदिया, रिंकू टीबड़ेवाल, मंजू कंवर राठौड़, संगीता शर्मा, निशा टेलर, बीना चंदेल, सुमन कंवर शेखावत, मंजू झूरिया को माला संजीवनी सर्टिफिकेट व तारा पूनियां द्वारा प्रदत नारी न्याय सम्मान सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि तारा पूनियां ने अपने उदबोधन में कहा कि मैं बचपन में ग्रामीण परिवेश से यहां आई और सतत प्रयत्न कर इस मुकाम तक दृढ़ संकल्प के साथ पहुंची हूं। महिलाओं को सशक्त होने के लिए दृढ़ संकल्प व सतत प्रयत्न आगे ला सकते है। उषा मानसिंहका ने कहा कि नारी हमेशा पूजनीय रही है और पूजनीय रहेगी। हमें खुद को संस्कारवान बनकर परिवार व समाज की सेवा करनी चाहिए। विमला जांगिड़ ने कहा कि वे बचपन मे मेधावी छात्रा रही थी। ससुराल वालों ने आगे नहीं पढ़ने दिया। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी व पढाई करती रही और आज इस मुकाम पर हूं। कार्यक्रम में कवि रमाकांत सोनी ने नारी तू नारायणी कविता सुनाकर सबका मन मोह लिया। डॉ. जांगिड़ ने कहा कि आज का कार्यक्रम स्त्रियों द्वारा स्त्रियों के लिए उनके उत्थान के लिए रखा गया है। उन्हीं द्वारा संचालन व उन्हीं का सम्मान किया गया है। आपने कहा कि नारी अपना सम्मान के लिए स्वयं उतरदायी है। उनको मर्यादा में रहकर परिवारजनों की सेवा कर समाज सेवा में भी आगे आना चाहिए। अपने बच्चों को पढ़ाएं। बेटियां तो हर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में है। लेकिन बेटे अपेक्षाकृत कम सफल है उनको शिक्षा के साथ साथ संस्कार दें।