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झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

उपभोक्ता आयोग का किसान हित में बड़ा निर्णय : किसान को बीमा कंपनी व योजना की लिखित में जानकारी देनी होगी

फसल बीमा की प्रीमियम राशि किसान से लेकर बीमा कंपनियों को भेजने वाले बैंकों को निर्देश

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झुंझुनूं। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी ने किसान द्वारा दायर किए गए परिवाद के संबंध में दिए गए महत्वपूर्ण फैसले में एसबीआई बैंक को यह आदेश दिया है कि किसानों से फसल बीमा प्रीमियम राशि लेकर जिस बीमा कंपनी को राशि भेजी जाती है। उस संबंधित बीमा कंपनी के नाम, संपूर्ण पते व बीमा योजना की स्पष्ट व संपूर्ण जानकारी स्थानीय भाषा में आवश्यक रूप से किसानों को लिखित रूप में उपलब्ध करवाई जाए।

गौरतलब है कि नवलगढ़ उपखंड के किसान ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दर्ज करवाया था कि उसकी रबी फसल 2022-23 में प्राकृतिक आपदाओं से खराब हो गई थी। उसने बैंक, विभागीय अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, मुख्यमंत्री के समक्ष भी फसल बीमा क्लेम का भुगतान करवाने का निवेदन किया। आयोग ने अपने फैसले में लिखा है कि परिवादी ने फसल खराब होने व फसल पर लगे खर्चे के पक्ष में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं।

ऐसे में किसान को अनुतोष नहीं दिलाया जा सकता। लेकिन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की पवित्र भावना की रोशनी में परिवादी की गंभीरतम परिस्थिति को देखते हुए बीमा कंपनी व बैंक द्वारा परिवादी को समय सीमा में फसल बीमा क्लेम नहीं मिलने की वास्तविकता से भलि भांति अवगत करवाने का दायित्व था। जिसे निभाने में बैंक, कृषि विभाग व बीमा कंपनी ने लापरवाही बरती है। फैसले में आदेश दिया गया है कि बीमा कंपनी 30 दिवस में किसान को फसल बीमा क्लेम नहीं मिलने के उचित कारण एवं सरकारी योजना के तहत लिए गए उपज के आंकड़ों की वास्तविकता से अवगत करवाते हुए किसान को फसल क्लेम क्यों नहीं मिला? इसकी वास्तविकता से अवगत करवाए। गौरतलब है कि बैंक द्वारा बीमा कंपनी का हिंदी भाषा में स्पष्ट रूप से किसानों का लिखित जानकारी देने का व्यापक असर पड़ेगा।

उपखंड अधिकारी को मेडिकल काउंसलिंग करवाने के आदेश
आयोग ने परिवादी को सुनवाई के दौरान फसल बीमा क्लेम को लेकर काफी तनाव में महसूस किया। इसलिए नवलगढ़ उपखंड अधिकारी को परिवादी के निवास स्थान पर जाकर विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से परिवादी की मेडिकल काउंसलिंग करवाने और आदेश की पालना रिपोर्ट भिजवाने के लिए भी आदेशित किया गया है।

“सामान्यतया खाताधारकों को पता नहीं होता कि उनका बीमा किस कंपनी के जरिए हुआ है। ऐसे में बैंक को यह आदेश दिया गया है कि वे खाताधारकों (उपभोक्ताओं) को इसकी स्पष्ट सूचना दे। इसका व्यापक असर होगा।
-मनोज मील, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग