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झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

किडनी कांड के आरोपी डॉ. धनखड़ को बड़ा झटका, नहीं कर पाएंगे अब डॉक्टरी, पंजीयन निरस्त

डॉ. संजय धनखड़ की जमानत याचिका भी हुई खारिज, जिला व सेशन न्यायाधीश ने कहा, सामान्य व्यक्ति भी जानता है कि आपरेशन कितनी सावधानी से होता है

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झुंझुनूं। किडनी कांड के आरोपी डॉ. संजय धनखड़ को अभी और भी दिनों तक जेल में रहना पड़ेगा। जी, हां पहले निचली अदालत सीएजेएम कोर्ट और अब जिला एवं सेशन न्यायालय में भी डॉ. संजय धनखड़ की जमानत याचिका खारिज हो गई है। जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेंद्र दीक्षित ने ना केवल डॉ. संजय धनखड़ की जमानत याचिका को खारिज किया है। बल्कि कड़ी टिप्पणी भी आदेशों में की है। जिसके बाद लगता है कि डॉ. धनखड़ का अभी जेल से बाहर आना मुश्किल है। आपको बता दें कि नूआं निवासी ईद बानो ने डॉ. संजय धनखड़ पर ईलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी कि डॉ. धनखड़ ने ईद बानो की खराब, यानि कि संक्रमित हो चुकी किडनी की जगह, स्वस्थ किडनी निकाल दी। जिससे उसकी जान जोखिम में आ गई।

इस मामले की एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने डॉ. धनखड़ को गिरफ्तार किया था। इसके बाद डॉ. धनखड़ ने सीजेएम कोर्ट में जमानत याचिका लगाई। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। वहीं अब जिला एवं सेशन न्यायालय में भी जमानत याचिका खारिज हो गई है। याचिका को खारिज करते वक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेंद्र दीक्षित ने टिप्पणी की है कि एक सामान्य व्यक्ति भी समझता है कि गुर्दा निकालने के बड़े ऑपरेशन अत्यन्त सावधानी पूर्वक किए जाने चाहिए। इसमें निश्चेतन विशेषज्ञ की सहायता आवश्यक रूप से ली जानी चाहिए तथा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक की सहायता के बिना किडनी सम्बन्धित ऑपरेशन आरोपी द्वारा करना मरीज के जीवन को संकट में डालने वाला कृत्य है। एक चिकित्सक के रूप में आरोपी को इस बात का भलीभांति ज्ञान होना चाहिए कि उसके द्वारा इस प्रकार के किए जा रहे कृत्य से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। पूर्व में भी आरोपी के लापरवाही पूर्ण चिकित्सक कृत्य के कारण दो जनो की जान जा चुकी है। इसलिए आरोपी डॉ. संजय धनखड़ को जमानत नहीं दी जा सकती।

स्वाभाविक चूक मानते हुए मांगी थी जमानत

इधर, डॉ. धनखड़ के वकील ने कोर्ट में यह कहते हुए याचिका लगाई थी कि यह एक सद्भाविक चूक थी। इसलिए सद्भाविक चूक डॉ. धनखड़ से हुई है। इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। लेकिन राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने न्यायालय में तर्क दिया कि पूर्व में भी लापरवाही से सम्बन्धित दो मामले आरोपी चिकित्सक के विरूद्ध दर्ज हुए हैं। आरोपी के लापरवाही पूर्ण चिकित्सकीय कृत्य से पहले भी दो की जान जा चुकी है। न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि एक महिला इलाज के लिए आई और आरोपी ने उसकी शल्य चिकित्सा करते हुए दाईं किडनी के स्थान पर बाईं स्वस्थ किडनी को शरीर से निकाल लिया। इस कृत्य के सम्बन्ध में चिकित्सकों की समिति की ओर से यह निष्कर्ष निकाला गया कि आरोपी निश्चेतन विशेषज्ञ की सहायता के बिना शल्य चिकित्सा की तथा निकाली गई किडनी की जांच नहीं कराई। जांच कराई जाती तो स्थिति उस समय स्पष्ट हो जाती कि निकाली गई किडनी रोगग्रस्त अथवा स्वस्थ।

डॉ. धनखड़ को बड़ा झटका, नहीं कर पाएंगे अब डॉक्टरी, पंजीयन निरस्त
बुधवार शाम को डॉ. संजय धनखड़ को एक बड़ा झटका लगा। राजस्थान मेडिकल काउंसिल की जनरल बॉडी की बैठक में प्रदेश के आठ चिकित्सकों के रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिए। जिसमें डॉ. संजय धनखड़ का नाम भी शामिल है। इस रजिस्ट्रेशन के निरस्त होने के बाद अब डॉ. धनखड़ भविष्य में डॉक्टरी नहीं कर पाएंगे। वैसे तो नियमानुसार उनका रजिस्ट्रेशन राजस्थान में डॉक्टरी करने के लिए निरस्त हुआ है। लेकिन दूसरे प्रदेशों में भी यदि वे रजिस्ट्रेशन करवाएंगे तो राजस्थान से एनओसी प्रस्तुत करनी होगी। तो वहीं किसी दूसरे देश में जाकर डॉक्टरी करेंगे तो भी पुराना रिकॉर्ड प्रस्तुत करना होगा। ऐसे में अब भविष्य में डॉ. धनखड़ डॉक्टरी कर पाएंगे। इस पर अभी संदेह है। ऐसे हालातों में सिर्फ कोर्ट ही एक रास्ता डॉ. धनखड़ के लिए बचा है। जिसमें उनकी किस तरह सुनवाई होती है। वो कानून और कोर्ट में रखे जाने वाले तथ्यों के बाद ही तय होगा। आपको बता दें कि इस मामले में जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने डॉ. धनखड़ का पंजीयन निरस्त होने की अनुशंषा की थी। संभवतया डॉ. धनखड़ अब झुंझुनूं के पहले ऐसे चिकित्सक होंगे। जिनका रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है।