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झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला : डिस्कॉम को 2 वर्ष बाद पुराना बकाया वसूलने का अधिकार नहीं

कहा-जिस उपभोक्ता को 11 साल बाद बकाया का बिल भेजा वह राशि अधिकारियों से वसूलें

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झुंझुनूं। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार मील, सदस्य नीतू सैनी ने उपभोक्ता के कृषि कनेक्शन के मामले में सुनवाई करते हुए उपभोक्ता को राहत दी है। उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील ने फैसले में सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायिक दृष्टांत का उल्लेख करते हुए विद्युत अधिनियम की पालना विद्युत विभाग के स्वयं के कर्मचरियों अथवा अधिकारियों द्वारा नहीं किए जाने एवं लापरवाही से राजकोष को नुकसान पहुंचाने के मामले में कड़ी टिप्पणी की है।

उपभोक्ता आयोग ने विद्युत अधिनियम से परे जाकर 11 वर्ष बाद पीडीसी कनेक्शन की पुरानी बकाया राशि को कृषि कनेक्शन के बिल में जोड़ कर भेजने को गलत बताते हुए कहा-विद्युत विभाग को 2 साल बाद पुराना बकाया वसूलने का अधिकार ही नहीं है। इसके बावजूद भी डिस्कॉम ने 11 साल पुरानी बकाया राशि नए बिल में जोड़कर भेज दी। उपभोक्ता ने जब यह राशि जमा नहीं कराई तो उसका कनेक्शन काट दिया गया। इस कारण उपभोक्ता को न्याय के लिए परिवाद करने को मजबूर होना पड़ा है। जिसके लिए उपभोक्ता को दिलाए गए प्रतितोष की राशि की वसूली भी विद्युत विभाग के दोषी अधिकारियों से वसूल करके राजकोष में जमा करवाने एवं उपभोक्ता को प्रतितोष राशि चुकाने की पालना रिपोर्ट निर्णय दिनांक से 60 दिवस में उपभोक्ता आयोग के सामने अधीक्षण अभियंता को पेश करने के लिए पाबंद किया गया है।

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार मील ने विद्युत अधिनियम में उपभोक्ता के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए मौजूद प्रावधानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायिक दृष्टांत में विद्युत अधिनियम की धारा 56 (2) के संबंध में प्रतिपादित विधि के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए विद्युत अधिनियम की धारा 56 (2) के अनुसार 2 वर्ष की अवधि के बाद बकाया (शोध्य) राशि नहीं वसूल की जा सकती। यदि वह लगातार वसूलनीय प्रदर्शित नहीं की गई हो, को विस्तार से सुस्पष्ट किया है और उपभोक्ता के कृषि कनेक्शन को 11 वर्षों पुराने बकाया पीडीसी राशि के आधार पर विच्छेद करने को अनुचित कार्य व्यवहार एवं सेवा दोष मानते हुए उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के द्वारा विद्युत अधिनियम एवं कृषि कनेक्शन के बिल में अन्य कनेक्शनों की बकाया पीडीसी राशि जोड़ कर कनेक्शन विच्छेद करने से सम्बन्धित महत्वपूर्ण  फैसले में लिखा है कि परिवादी का कृषि कनेक्शन वर्ष 2009 में स्थापित हुआ है और 2011 में उपभोक्ता को नोटिस भेज कर 2 पीडीसी कनेक्शनों की बकाया जमा करवाने को सूचित किया गया है।

जिसके संबंधित उपभोक्ता ने बकाया पीडीसी कनेक्शनों का सम्पूर्ण विवरण उपलब्ध करवाने की मांग भी की थी। जिसके सम्बन्धित कोई कार्यवाही विद्युत विभाग ने नहीं की और वर्ष 2013 में उपभोक्ता के आवेदन पर व्यावसायिक श्रेणी का नया विद्युत कनेक्शन भी स्थापित किया है और उपभोक्ता को नोटिस भेजने के 11 वर्षों बाद कृषि कनेक्शन के विद्युत बिल में बकाया पीडीसी राशि जोड़कर कृषि कनेक्शन विच्छेद किया। विद्युत विभाग के अधिकारियों का यह कृत्य विद्युत अधिनियम की मूल पवित्र भावना के विपरीत है। क्योंकि उपभोक्ता को अघरेलू (एनडीएस) श्रेणी का नया विद्युत कनेक्शन 2013 में देते वक्त बकाया राशि यदि कोई थी, तो उसे प्राप्त करने का विधिक दायित्व एवीवीएनएल के जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों का था, जिसका निर्वहन नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का यह महत्वपूर्ण फैसला विद्युत विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कराएगा। वहीं उपभोक्ताओं को भी विद्युत अधिनियम के अंतर्गत मिले हुए अधिकारों से रूबरू करने का काम करेगा। जिससे राजकोष को नुकसान पहुंचाने वाले लापरवाहीपूर्ण कृत्यों पर भी रोक लगेगी।