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झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

उदयपुरवाटी एसडीएम और वकीलों के बीच टकराव, एसडीओ कोर्ट के सामने धरने पर बैठे वकील, नारे लगाए

दोनों एक दूसरे पर लगा रहे आमजन के साथ गलत रवैये का आरोप

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उदयपुरवाटी । एसडीएम मोनिका सामोर व बार संघ के बीच करीब एक सप्ताह से टकराव की स्थिति बनी हुई है। दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ आमजन के साथ गलत रवैये का आरोप लगा रहे हैं। इसे लेकर वकील एसडीएम कोर्ट के बाहर धरने पर बैठे हैं। वकीलों का कहना है कि या तो एसडीएम को यहां से हटाया जाए, या फिर एसडीएम अपने रवैये में सुधार करें। वकीलों का आरोप है कि एसडीएम की कार्यशैली ठीक नहीं है। वे पक्षकारों को न्याय दिलवाना चाहते हैं लेकिन एसडीएम का रवैया ठीक नहीं है। उन्होंने मामलों में पक्षपात करने का आरोप लगाया है। इस मामले में एसडीएम का कहना है कि उन पर पुराने मामलों का निस्तारण करने का दबाव है। ऐसे में उन्होंने कोर्ट लगाई तो कुछ वकील कोर्ट में आ गए और कुछ नहीं आए। पक्षकारों के साथ अन्याय तो नहीं कर सकते, जो पक्षकार नेपाल से चलकर आया है उसको न्याय तो मिलना ही चाहिए। उन्होंने वकीलों की अनुपस्थिति में पक्षकारों को सुनकर कुछ मामलों का निस्तारण कर दिया तो कुछ वकील नाराज हो गए। कुछ वकील अपने व्यक्तिगत मामलों को लेकर दूसरे वकीलों को साथ लेकर विरोध कर रहे हैं। वे पक्षकारों के साथ न्याय करना चाहती हैं इसलिए कुछ पुराने लंबित मामलों का निस्तारण किया था।

दोनों पक्ष पीड़ित के हित की बात कर रहे, लेकिन गलतफहमी 
नीमकाथाना जिला बनने के बाद उदयपुरवाटी उपखंड का दायरा छोटा हो गया है। उपखंड क्षेत्र का इलाका बढ़ाने के लिए नजदीकी ग्राम पंचायतों को उदयपुरवाटी उपखंड में शामिल कराने की मांग को लेकर वकीलों ने कार्य बहिष्कार कर रखा था। वकील आमजन के हित के लिए लड़ रहे थे। इस दौरान एक दिन कुछ वकील उपखंड कोर्ट में चले गए और कुछ बहिष्कार में शामिल रहे। कोर्ट में वकीलों को देखकर एसडीएम ने कोर्ट का काम शुरू कर दिया। लंबित मामलों का निस्तारण करने और पक्षकारों को न्याय देने के लिए वकील उपस्थित नहीं होने पर कुछ मामलों को अदम पैरवी या अदम हाजरी में खारिज कर दिया गया। इससे संबंधित वकील नाराज हो गए और आंदोलन का रूख एसडीओ के खिलाफ कर दिया।

एसडीएम को बदलनी होगी अपनी कार्यशैली : अध्यक्ष
बार संघ के अध्यक्ष शिशुपाल सैनी का कहना है कि हम पक्षकारों को न्याय दिलाने के लिए बैठे हैं। सभी फाइलों में समान व्यवहार होना चाहिए तथा न्यायालय के मामले में पक्षपात नहीं होना चाहिए। अब या तो एसडीओ बदला जाना चाहिए या एसडीओ की कार्यशैली बदली जानी चाहिए।