Jhunjhunu Update
झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

मीटर रीडिंग जीरो थी, फिर भी जल उपभोग 16 हजार मीटर दर्शा बिल भेज दिया, अब पीएचईडी कार्मिकों को चुकाने होंगे हर्जाने के 25 हजार रुपए

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का फैसला : 60 दिवस में अधीक्षण अभियंता को पेश करनी होगी आदेश की पालना रिपोर्ट

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झुंझुनूं । जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अध्यक्ष मनोज मील व सदस्या नीतू सैनी ने एक फैसले में पीएचईडी पर परिवादी को मानसिक संताप पेटे 20 हजार रुपए एवं परिवाद व्यय के 5 हजार रुपए हर्जाने के चुकाने के आदेश दिए हैं। आयोग ने पीएचईडी एसई को निर्देशित करते हुए लिखा है कि विभाग जनता के टैक्स से संचालित होता है, इसलिए राजकोष पर व्यय भार नहीं डालकर यह हर्जाना दोषी कार्मिकों से वसूला जाए।
दरअसल झुंझुनूं शहर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित प्रतिष्ठान के संचालक शिवदत्तराम के पुत्र अशोक मांजू का है। प्रतिष्ठान का 32 वर्ष पुराना पेयजल कनेक्शन परिवादी के पिता के नाम से है। वर्ष 2016 में जून महीने में जल उपभोग का गत पठन व वर्तमान पठन शून्य दर्शाया गया एवं जल उपभोग को 16 हजार लीटर बताते हुए पुराने बकाया के साथ बिल भेजा गया, जिसे संशोधित करने और स्थाई सेवा शुल्क लेने की प्रार्थना परिवादी की ओर से जलदाय विभाग में की गई। जहां सुनवाई नहीं होने पर अशोक मांजू ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में परिवाद दायर किया। जिस पर दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए आयोग ने यह आदेश दिए हैं कि विवादित बिल में अंकित राशि शून्य की जाए एवं परिवादी से केवल स्थाई शुल्क लिया जाए। साथ ही बरती गई लापरवाही व आयोग के समक्ष लगातार 42 सुनवाई में अनुपस्थित रहने को न्यायिक अवज्ञा के साथ ही पीएचईडी के कार्य व्यवहार को अनुचित व सेवा दोष मानते हुए विभाग से परिवादी को हर्जाना दिलवाने के आदेश दिए गए हैं।

पालना नहीं होने पर चुकाना होगा 6 फीसदी वार्षिक ब्याज

जलदाय विभाग के कार्य व्यवहार को अनुचित व सेवादोष मानते हुए जलदाय विभाग से परिवादी को हर्जाना दिलवाने के आदेश दिए गए हैं। अधीक्षण अभियंता को निर्देशित किया गया है कि आदेश की पालना रिपोर्ट 60 दिवस में आयोग में प्रस्तुत की जाए, पालना नहीं होने पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ हर्जाना राशि चुकानी होगी। हालांकि फैसले में परिवादी के स्तर पर यह स्वतंत्रता दी गई है कि यदि परिवादी चाहे तो वह लोक अदालत की पवित्र भावना से हर्जाना राशि छोड़ सकता है, जिसकी लिखित सूचना आयोग को देनी होगी।