Jhunjhunu Update
झुंझुनूं का नं. 1 न्यूज़ नेटवर्क

नीट परीक्षा को रद्द करने व जिलेभर की कॉलेजों से जुड़ी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा

एसएफआई व डीवाईएफआई ने विभिन्न मांगों को लेकर सीएम को दिए ज्ञापन

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झुंझुनूं। नीट परीक्षा को रद्द करने व जिलेभर की कॉलेजों में विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज गुर्जर ने कहा कि नीट परीक्षा 2024 में पेपर लीक सहित अन्य अनियमितताओं के विरोध पूरे देश में विद्यार्थियों में आक्रोश है। इसी आक्रोश को ध्यान में रखते हुए नीट परीक्षा में हुए घोटाले में निष्पक्ष जांच तथा 5 मई 24 को आयोजित नीट परीक्षा को रद्द करके दुबारा करवाए। जिलाध्यक्ष अनीश धायल ने बताया कि जिलेभर के कॉलेजों की विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन दिया। जिसमें जिला मुख्यालय का सबसे बड़ा महाविद्यालय मोरारका महाविद्यालय झुंझुनूं में एमकॉम, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र तथा उर्दू विषय शुरू करने, राजकीय महाविद्यालय सूरजगढ़ में भवन निर्माण का कार्य जल्द से जल्द शुरु करने, सेठ नेतराम मगराज टीबड़ेवाल कन्या महाविद्यालय झुंझुनूं में अधूरे पड़े छात्रावास को पूर्ण करने, राजकीय महाविद्यालय नवलगढ़ में भूगोल एवं राजनीतिक विज्ञान विषय शुरु करने, सोसाइटी एक्ट पर खोले गए नए महाविद्यालयों को बंद करने की बजाय सरकार के अधीन किया जाए।

छात्रसंघ महासचिव मोहम्मद साहिल कुरैशी ने बताया कि विषय शुरू करने की मांग को लेकर विधायक और राज्य सरकार को ज्ञापन व प्रदर्शन के माध्यम से अवगत कराता रहा है। परंतु ध्यान नहीं दिया गया है। यहां के विद्यार्थी को उम्मीद रहती है। परंतु निराशा ही हाथ लगती है। जिले के विद्यार्थी वर्ग को राज्य सरकार ने सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थियों के साथ कुठाराघात करते हुए लॉलीपॉप देने का कार्य किया है। छात्र वर्ग इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है और मांग करता है जल्द से जल्द सभी विषय शुरू हो। इस दौरान निकिता शर्मा, हेमलता शर्मा, अरुण, मोहित, उपेंद्र, अमित, जहीर, अंकित समेत अनेक कार्यकर्ता एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

भारत की जनवादी नौजवान सभा ने नहर को लेकर सौंपा ज्ञापन

सीएम को ज्ञापन देते डीवाईएफआई के पदाधिकारी।

भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिला महासचिव बिलाल कुरैशी के नेतृत्व में जिलाध्यक्ष राजेश बिजारणियां, कॉमरेड महिपाल पूनियां, महिला नेत्री हेमलता शर्मा, छात्रसंघ महासचिव निकिता शर्मा के प्रतिनिधि मंडल के रूप में एकदिवसीय झुंझुनूं दौरे पर आए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को यमुना जल समझौता 1994 लागू करने बाबत ज्ञापन दिया गया। जिलाध्यक्ष राजेश बिजारणिया ने बताया कि झुंझुनूं, चुरू और सीकर जिले के गिरते जल स्तर और शेखावाटी के किसानों के लिए सिंचाई के पानी की मांग आजादी से चली आ रही है। जिसके लिए समय समय पर बड़े आंदोलन हुए। कामरेड महिपाल पूनियां ने बताया किसानों के लंबे संघर्ष की पहली जीत 1994 मे यमुना जल समझौते के रूप मे हुई। जिसमें झुंझुनूं जिले की मलसीसर, पिलानी और सूरजगढ़ तहसील और चूरु जिले की राजगढ़ तहसील के 196 गांवों को सिंचाई का पानी व झुंझुनूं, चूरु, नीमकाथाना जिले और सीकर जिले की धोद, दांतारामगढ़ तहसील को पीने का पानी ताजेवाला हैड (यमुनानगर) से मिलना था। 1996 में अपर यमुना रिवर बोर्ड का गठन और जिसमें राजस्थान के हिस्से में 1.09 बीसीएम पानी आया।

किसानों के अरमानों को लगे पंख कुछ ही समय मे मुरझाने लगे। क्योंकि 1997 में हरियाणा ने राजस्थान का हक खारिज कर दिया। इसके बाद से लेकर आज तक यमुना जल समझौते को लेकर ग्राउंड पर कोई कार्य नहीं हुआ। नौजवान सभा की महिला नेत्री हेमलता शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार ने हाई कोर्ट के दबाव मे 2017 में एक डीपीआर 20 हजार करोड़ रुपए की बनाकर पेश की। जिसको तात्कालिक केंद्रिय जल शक्ति मंत्री नितिन गडकरी ने खारिज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट के दबाव में 2021 में 31 हजार करोड़ की डीपीआर वापस बनाई। जो टेक्निकल अप्रुवल के लिए आज तक पेंडिंग हैं। राजस्थान सरकार ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले शेखवाटी को गुमराह करने के लिए एक नई डीपीआर बनाकर 4 महीने मे नहर का काम शुरू कराने का वायदा 16 फ़रवरी 2024 को किया और एक दिखावटी एमओयू हरियाणा से किया। उस एमओयू की अधिकारिक कॉपी अभी तक सरकार ने जनता के सामने नहीं रखी हैं। लेकिन कुछ दिनों से कई सूत्रों के द्वारा वायरल एमओयू में कही भी सिंचाई के पानी का उल्लेख नहीं है। जो राजस्थान सरकार का हरियाणा सरकार के सामने आत्म समर्पण का दृश्य दिखाई देता हैं। छात्रसंघ महासचिव निकिता शर्मा ने बताया यमुना जल समझौता 1994 में 6 राज्य भागीदार है और अंतर्राज्यीय जल विवाद में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों के अनुसार कोई एक राज्य मनमानी नहीं कर सकता। लेकिन हरियाणा सरकार की हठधर्मिता और राजस्थान सरकार के नाकारापन की वजह से राजस्थान यमुना जल समझौता 1994 में राजस्थान अपना हक़ खोने के कगार पे पहुंच चुका है। शेखावटी की उम्मीद के साथ इस कुठाराघात को किसान बर्दाश्त नहीं करेगा। नौजवान सभा इसको लेकर संसद से सड़क तक अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष करेगी और किसान के सपने को मरने नहीं देगी। मुख्यमंत्री से यह मांग की गई कि शेखावाटी के हिस्से का सिंचाई व पीने का पानी दिलवाने का काम करेंगे और हरियाणा सरकार से यमुना जल समझौता 1994 लागू कर शेखावाटी के हित का पूरा ध्यान रखने की कोशिश करेंगे।